डायरी सखि,
एक बच्चा वो भी कट्टर ईमानदार, अगर बाहर घूमने जाना चाहता है तो इसमें क्या हर्ज है ? आखिर वह चाहता क्या है ? इतना ही ना कि उसका बनाया हुआ मॉडल सब देखें । तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए सखि । मगर उसके अभिभावक उसे जाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं । यह तो बहुत नाइंसाफी है न सखि ।
क्या कहा ? वह बहुत जिद्दी है , उपद्रवी है , अराजक है , असभ्य है, झूठा है । पड़ोसी उसे धूर्त , मक्कार भी कहते हैं । पड़ोसी तो जलते हैं ऐसे होनहार नौनिहालों से । और कौन कह रहा है ये सब ? वही बेईमान लोग तो कह रहे हैं ना ? अरे, जो लोग हिटलर की संतान , सावरकर की औलाद, साइकोपैंथ हैं और खून की दलाली में लिप्त पाए जाते हैं , वे तो कुछ भी कह सकते हैं । मगर ये बच्चा तो खुद को भगत सिंह की औलाद है । क्रांतिकारी अति क्रांतिकारी है । खैराती लोग इसका गुणगान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं ।
तो ऐसे होनहार बच्चे मुकद्दर वालों को ही मिलते हैं सखि । ये अलग बात है कि इस प्रकार के बच्चे अपने मां बाप की "आंख" में उंगली करते रहते हैं । अपने बाप के बजाय पड़ोसी को बाप बताते फिरते हैं । पर बड़ों को बच्चों को बातों का बुरा नहीं मानना चाहिए ना सखि । बच्चे तो गलती करते ही रहते हैं । पर क्या बडों को बडप्पन नहीं दिखाना चाहिए ?
और वह अपना मॉडल ही तो दिखाना चाहता है ? तो दिखाने दो उसे अपने मॉडल को । आखिर है क्या उस मॉडल में ? झूठ का पुलिंदा , ख्वाबों की दुकान , रेत का महल, सपनों का संसार, सुनहरे सब्जबाग ! यही ना ? माना कि उसकी मार्केटिंग बड़ी शानदार है । वह गंजों को भी कंघी बेचने में बड़ा माहिर है । उसके जैसा शातिर और कोई नहीं है आज की दुनिया में । फिर भी घर का चिराग तो है ही ना । और घर के चिराग की तो सारी ख्वाहिशें पूरी की ही जाती हैं । सारे अपराध क्षम्य हैं उसके । लो बोलो, मना कर दिया उसे , यह भी कोई बात हुई भला ?
मना कर दिया कोई बात नहीं । पर उनके पीछे सी बी आई, ई डी और ना जाने क्या क्या लगाने की क्या आवश्यकता थी ? ? भला ऐसे भी कोई करता है क्या अपने बच्चों के साथ ? और वो भी कट्टर ईमानदार बच्चों के साथ । उनकी ईमानदारी पर शक करना सबसे बड़ा पाप है सखि । उनकी ईमानदारी ऐसी है सखि जैसे कि काजल की कोठरी । उनकी ईमानदारी , सत्यता तो सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र से भी दो पायदान ऊपर है । उन जैसा सत्यवादी , ईमानदार तो ना भूतो ना भविष्यति । और फिर भी उनको जाने की अनुमति नहीं ? बहुत नाइंसाफी है सखि बहुत नाइंसाफी । इसकी सजा तो मिलनी चाहिए ना अभिभावकों को । देगा , ऊपरवाला जरूर देगा । क्योंकि अब उसी का आसरा है । जनता में तो कलई खुल चुकी है इस बच्चे की ।
आज के लिए इतना ही काफी है सखि । कल फिर मिलते हैं ।
श्री हरि
23.7.22
Radhika
09-Mar-2023 12:39 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
24-Jul-2022 02:07 PM
Nice post 👍
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Gunjan Kamal
24-Jul-2022 12:27 AM
बहुत ही सुन्दर
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